चरित्र
1. लक्ष्य (शत्रुदेश का राजा )
2. मक्षय ( अन्नदेश के सेनापति )
3. युवराज (अन्नदेश के राजकुमार)
4. गौरी (युवराज की बहन )
5.कंचन (युवराज की दोस्त )
लक्ष्य
का सेनापति - अन्नदेश वासियों , हमारे महाराज लक्ष्य अभी पहुचने वाले है
वो अन्नदेश के राजा को पराजित करके, उपहार स्वरुप तुम्हारा राज्य लेंगे !
(और लक्ष्य युध् क्षेत्र मे आ जाता है),
लक्ष्य का सेनापति = "मालिक आपका स्वागत है !"
लक्ष्य
= "मै अन्नदेश के राजा को खुली चुनोती देता हूँ, आज फैसला हो जायेगा कि
तुम्हारा मालिक कौन होगा! मै 1 दिन का समय देता हु , या तो मुझसे युद्ध करो
या बिना युद्ध किये अपना राज्य मुझे सोप दें !
सेनापति मक्षय ,यह देख बहुत चिंतित हो जाते है वो अपने सैनिको के साथ युद्ध क्षेत्र मे पहुचते है
(अन्नदेश
के राजकुमार , गौरी और कंचन के साथ राज्य से बाहर गए होते है उन्हें
सुचनासेवक के माध्यम से अन्नदेश पर हमले की बात का पता चलता है वो तीनो
तुरंत अन्नदेश के और निकल पड़ते है ।
रास्ते मे गौरी और कंचन , राजकुमार को समझाते है)
गौरी
और कंचन = मित्र हम लक्ष्य पर यू ही विजय प्राप्त नहीं कर सकते । क्यों ना
पडोसी मित्र राज्यों से मदद ले ली जाये ?, और जब कल तक का समय दिया ही गया
है ।
युवराज= नहीं , कल तक का समय नहीं है मुझे आज ही उसको हराना होगा ।
( और राजकुमार अकेले ही युद्ध क्षेत्र की तरफ निकल पड़ता है । गौरी और कंचन पडोसी राज्यों से मदद के लिए निकल पड़ते है )
सेनापति मक्षय और लक्ष्य, के बीच युद्ध होने लगता है सेनापति को बड़ी ही आसानी से पराजीत कर देता है ।
और शाम होने लगती है
शाम होते होते राजकुमार युद्ध क्षेत्र मे पहुचते है और अपने सेनापति से मिलते है । सेनापति राजकुमार को समझाते है
सेनापति = तुम अभी बच्चे हो , युद्ध क्षत्रियो की जिम्मेदारी है तो मैंने फैसला किया है कि युद्ध मै करूँगा
राजकुमार सेनापति जी को आश्वासन देता है
राजकुमार = "ठीक है मै उसको उलझाये रखूँगा जब तक मेरे दोस्त मदद ले कर नहीं आ जाते "
और अगले दिन लक्ष्य से युद्ध करने राजकुमार अपने रथ पर सवार, सभी साजोसामान के साथ युद्ध क्षेत्र पहुचता है ।
और सुबह के समय से ही दोनों पक्षों मैं बहुत ही घमासान युद्ध होने लगता है ।
दोनों पक्षों की तरफ से तीरों की बारिश होने लगी , तीरों ने
पुरे आसमान को ढक लिया था ऐसा प्रतीत हो रहा था कि दिन मे ही रात हो गयी
हो .
राजकुमार और लक्ष्य आमने सामने आ जाते है ।
राजकुमार = " कैसे हो ? मुझे आपको जल्दी से हराना है और शाम को नदी के पास अपने दोस्तों से मिलने जाना है।। तो लड़ाई शुरू करे "
लक्ष्य =" बेशक ! मुझे भी बहुत जल्दी है तुम्हे हराने के बाद मै तुम्हारा ताज ख़ुशी से पहनुगा "
(राजकुमार बाणों से लक्ष्य के रथ के पहिये जाम कर देता है ।)
राजकुमार = " ओओह तुम तो सुबह - सुबह जम गए :) "
लक्ष्य (गुस्से मे ) = " उड़ा लो मेरा मजाक पर इससे मेरी जीत का मज़ा दुगना हो जायेगा "
(
लक्ष्य रथ के पहिये पर लगे बाणों को तलवार से काट देता है और तलवार
को राजकुमार की तरफ फैकता है , राजकुमार का सारथि राजकुमार के आगे आ जाता
है और तलवार सारथि को लग जाती है , सारथि घायल हो जाता है । )
अब
दोनों मे तीरों से युद्ध होने लगता है राजकुमार एक बाण चलाता वो एक बाण
आगे जाकर दस बाण बन जाते । पर लक्ष्य पूरी तयारी के साथ आया था उसके
पास राजकुमार के हर परहार का जवाब था ।
ऐसा लग रहा था की आज तो राजकुमार हार जायेंगे । लक्ष्य बहुत खुश था जैसे उसको पता चल गया हो की उसकी विजय आज तय है ।
लक्ष्य , राजकुमार पर लगातार हमला कर रहा था ।
अब राजकुमार के पास अंतिम धनुष बचा था , राजकुमार सबर के साथ युद्ध कर रहा था
लक्ष्य ने अब राजकुमार का अंतिम धनुष भी तोड़ दिया ।
लक्ष्य="हार मानते हो , हो सके तो मै तुम्हारी मौत आसान कर दू"
राजकुमार= " तुम्हे थोडा और इंतज़ार करना चाहिए , वो देखो ...."
(अब गौरी और कंचन पडोसी राज्यों से मदद लिए युद्ध क्षेत्र मे पहुचते है राजकुमार गौरी और कंचन को देख कर बहुत खुश होता है ।
राजकुमार (लक्ष्य से ) = अब तुम्हारा सामना होने जा रहा है मेरे दोस्तों से ....
लक्ष्य (गौरी और कंचन से ) = तुम्हे अभी बीच मैं आना जरुरी है क्या ??
गौरी और कंचन से (मुस्कुराते हुए ) = " लगता तो है "
कंचन , राजकुमार को एक नया धनुष प्रदान करता है ।
( लक्ष्य बड़ी तेज़ी से वार करता हुआ आगे बढता है और राजकुमार का ये धनुष भी तोड़ देता है
अब राजकुमार का रथ भी टूट जाता है , पुरे मैदान में धुल ही धुल हो जाती है । अब सभी लोग दुखी हो जाते है क्योकि उस धुल के गुबार मे से राजकुमार को देख पाना नामुमकिन था कुछ ही देर मे राजकुमार के रथ के टूट चुके अवशेष , और राजकुमार के अस्त्र - सस्त्र बाहर आ रहे थे सभी को लगने लगा की राजकुमार मारे गए ।
कुछ ही देर मे राजकुमार और लक्ष्य , तलवार युद्ध करते हुए धुल से बाहर दिखाई देने लगे )
राजकुमार (लक्ष्य से )= तलवारबाजी मे मेरी अच्छी पकड़ है तुम हार मान जाओ ....
लक्ष्य = "बिलकुल नहीं "
(राजकुमार लडते हुए लक्ष्य की तलवार गिरा देता है और उसे बंदी बना लेता है , इसप्रकार राजकुमार विजय हो जाता है )
राजकुमार , गौरी और कंचन के पास आता है और बोलता है
"मेरा रथ और धनुष दोनों ही टूट गए है पर हमारी दोस्ती अभी भी है ना ",
(और अपना हाथ आगे करता है )
गौरी और कंचन = "हमेशा से !"